जबलपुर । हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए मप्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा से होने वाली नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है। हालांकि हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने साफ किया कि यह कोर्ट मूल्यांकनकर्ता या चयन समिति की भूमिका नहीं निभा सकती। जबलपुर निवासी शालिनी गुप्ता सहित 52 परीक्षार्थियों ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा दी थी। परीक्षा में एक प्रश्न था कि भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ। याचिकाकर्ताओं ने उसका उत्तर 9 अगस्त 1942 दिया। पीएससी ने इस प्रश्न के उत्तरों के विकल्प को गलत बताते हुए उसे डिलीट कर दिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अंशुल तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने भी हाल ही में ट्वीट कर नौ अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत माना था। इसके अलावा केंद्र की अधिसूचना में भी नौ अगस्त का आंदोलन घोषित किया गया है, ऐसी स्थिति में उक्त प्रश्न को डिलीट नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि सभी याचिकाकर्ता परीक्षार्थियों को कट-आफ से केवल एक अंक कम मिले हैं। सभी को यदि उक्त उत्तर के अंक मिलते तो वे मुख्य परीक्षा के लिए पात्र हो जाते। पीएससी की ओर से दलील दी गई कि बिपिन चंद्र के सहित्य माडर्न इंडिया के मुताबिक भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत आठ अगस्त को हुई थी। यह भी तर्क दिया गया कि एक्सपर्ट कमेटी ने भी इस संबंध में रिपोर्ट पेश की है।
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