भोपाल । भाई-बहन के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन की रौनक बाजार में नजर आने लगी है। शहर में राखियों के लिए थोक बाजार में बिक्री जोर-शोर से चल रही है। इस साल त्योहार के उल्लास के साथ बिक्री भी दोगुनी होने की उम्मीद है। इसके पीछे भी खास कारण बताए जा रहे हैं। देशभर के अलग-अलग शहरों से आ रही राखी मानो भोपाल के बाजार को एक सूत्र में बांध रही है। अलग-अलग राखियों की आपूर्ति भोपाल में देश के अलग-अलग बाजारों से होती है।
राखी के बाजार में समय के साथ विविध पैटर्न और डिजाइनों की बहुतायत भी हो गई है। देश के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग तरह की राखियों की आपूर्ति भोपाल के थोक बाजार में होती है। भोपाल के थोक बाजार से ये राखियां मप्र और महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों-कस्बों और गांव के रिटेल बाजार में पहुंचती हैं। भोपाल में राखी का थोक बाजार करीब 5 करोड़ से ज्यादा का आंका जाता है। खास बात है कि नई एकीकृत कर प्रणाली जीएसटी लागू होने के बाद भी राखी को टैक्स फ्री श्रेणी में ही रखा गया है। ऐसे में राखी के बाजार में न तो सरकारी हस्तक्षेप और न ही कार्रवाई का डर नजर आता है।
जानकारी के अनुसार भोपाल में जयपुर से चूड़ा राखी लूंबा, जरी राखी आती है। वहीं कोलकाता से जरदोसी, रेशम और चंदन की राखी, हैदराबाद से मिनी जरदोसी (बारीक जरदोसी) के काम वाली राखी, सूरत-राजकोट से डायमंड(नग), मेटल और चांदी राखी और नारियल के लिए कंदौरा, दिल्ली-कोलकाता से बच्चों के लिए कार्टून कैरेक्टर और लाइट-म्यूजिक वाली वाली राखी और मुंबई से रिंग डोरी, कास्टिंग मेटल की राखी आती हैं।
थोक कारोबारियों के अनुसार, राखी के बाजार में कलकत्ता और राजकोट का प्रभुत्व नजर आता है। रिटेल ग्राहकों को सबसे ज्यादा पसंद आने वाली राखियों में रेशम और डायमंड वाली मेटल की राखियां शामिल हैं। थोक कारोबारियों के अनुसार, थोक बाजार में सबसे सस्ती राखियों के दाम 25 पैसे से शुरू होते हैं, जबकि सबसे महंगी राखी के दाम थोक बाजार में 125 रुपये प्रति नग तक जाते हैं। चांदी या सोने के काम वाली राखी के दाम वजन के हिसाब से तय होते हैं। ये राखियां मांग पर बनवाई जाती हैं। सबसे ज्यादा बिकने वाली राखियों में कोलकाता और राजकोट की राखियों का नंबर आता है। जरी और रेशम की राखियां तो हर ग्राहक खरीदता है, लेकिन नए दौर में राजकोट से आ रही नग वाली राखियों का चलन भी बढ़ रहा है। बीते वर्षों से कपल राखियां और चूड़ा राखियों की बिक्री बढऩे लगी है। ये जयपुर से बनकर आती हैं। बच्चों की राखियां हमेशा की तरह मांग में रहती है। समय के साथ टेडी बियर और कार्टून कैरेक्टर बदलते रहते हैं।
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