केंद्र सरकार ने डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल (Digital Data Protection Bill 2022) का मसौदा काफी पहले तैयार कर लिया था. यह बिल इस साल संसद के मॉनसून (Monsoon Session) में पेश किया जाएगा. ये बिल आम लोगों के डेटा का संरक्षण करने के साथ-साथ कई और तरह से उपयोग में आएगा. इस बिल के पास हो जाने के बाद अगर कंपनियां लोगों के निजी डेटा पर सेंध लगाएंगी तो उनको 250 करोड़ तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.
18 नवंबर 2022 को आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने इसका ड्राफ्ट बनाया था. इसके बाद इसमें जनता की राय भी मांगी गई थी. डिजिटल डेटा प्रोटक्शन बिल के बारे में सरकार ने जानकारी देते हुए कहा था कि ये नागरिकों के डिजिटल अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी देता है. सरकार ने 17 दिसंबर 2022 तक इस मामले में जनता की राय मांगी थी. इसमें कहा गया था कि लोगों की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाएगा. मामले के जानकार अधिकारियों ने बताया कि इस बार 20000 से अधिक जवाब मिले हैं.
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विपक्ष बना रहा मुद्दा
सरकार ने जब ये बिल प्रस्तावित किया था उसी के बाद से विवाद हो गया था. विपक्ष ने इस बिल को लेकर खूब हंगामा किया था. इस बिल के कई प्रावधानों को लेकर आज भी संशय है. ऐसा कहा जा रहा ये बिल सरकार को लोगों की निजी जानकारी लेने में छूट दे रहा है. जोकि 2017 सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने गोपनीयता को मौलिक अधिकार माना था.
लोगों ने खूब दिए सुझाव
अधिकारियों ने बताया कि आमतौर पर 1500-2000 ही सुझाव मिलते थे. मगर इस बार 20000 से ज्यादा फीडबैक मैसेज मिले हैं. बिल को संसद के मानसून सत्र में रखा जाएगा. इसमें भी हंगामा होना तय है. क्योंकि विपक्ष पहले से ही ये आरोप लगा रहा है कि इस बिल के जरिए सरकार लोगों की निजी जानकारी आसानी से प्राप्त करने का अधिकार हासिल कर लेगी. नाम न छापने की शर्त में एक अधिकारी ने बताया कि इस बिल को बनाते वक्त सरकार ने यूरोप के General Data Protection Regulation को ध्यान में रखा है.