इंदौर । करणी सेना के कथित जिला अध्यक्ष ऋषिराज सिंह सिसोदिया और गुंडे रामसिंह को किसके दबाव में छोड़ा यह तो स्पष्ट नहीं हुआ लेकिन यह बात सार्वजनिक हो गई कि एक अफसर अपराधियों को वीआइपी सुविधा देने का दबाव बना रहा था। उसने हवालात से निकाल कर कूलर की हवा में बैठाने को कहा था। विजयनगर पुलिस ने ऋषिराज और रामसिंह दीखित उर्फ छोटा रामसिंह को गुरुवार रात गुंडागर्दी के आरोप में गिरफ्तार किया था। कुछ देर बाद ही बड़े अफसरों ने ऋषिराज को छोड़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया लेकिन टीआइ रवींद्र गुर्जर ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि ऋषि शुक्रवार को कोर्ट पेश होगा। इसके बाद अफसर ने उसकी देखभाल के लिए काल लगाया। हालांकि टीआइ ने यह कहते हुए मना कर दिया कि थाना मुझे चलाना है। रात 2 बजे एसीपी सोनाक्षी सक्सेना स्वयं पहुंची और दोनों को जमानत पर छोड़ा।
क्या वाकई जिलाबदर होंगे अंगद के पैर
वर्षों से जमे थाना प्रभारी और एसीपी की विदाई का वक्त आ गया है। अंगद के पैर बन जमे ज्यादातर अफसरों की कमलनाथ सरकार में एंट्री हुई और इसके बाद से टस से मस नहीं हुए। कुछेक तो घोटालों की जांच करते-करते खुद घोटालेबाजों के पार्टनर बन गए लेकिन अब चुनाव के कारण हटना पड़ेगा। एडीजी (प्रशासन) ने निरीक्षक/ कार्यवाहक निरीक्षकों का ब्योरा मांग लिया है। 17 मई को पत्र जारी कर पूछा है कि ऐसे कौन-कौन निरीक्षक हैं जो 31 जनवरी 2024 की स्थिति में चार वर्ष में से तीन वर्ष से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं। एडीजी ने कार्यवाहक निरीक्षकों को एसआइ पद की पदस्थापना भी जोड़ी है। कुछ दिन अन्यत्र जिले में समय गुजार दोबारा शहर आए अफसरों पर भी तबादले की तलवार लटका दी है। इस पत्र के बाद ज्यादातर अफसर एटीएस, एसटीएफ, साइबर और लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू जैसी विंग में जाने की जुगाड़ में लग गए हैं।
डायरियां जांचते ही छुट्टी मांगने लगे थाना प्रभारी
नवागत डीसीपी अभिषेक आनंद की सख्ती से थाना प्रभारी तनाव में हैं। कुछेक ने तो छुट्टियां भी मांग ली है। 2018 बैच के सीधे आइपीएस अभिषेक 20 दिन पूर्व ही जोन-2 के डीसीपी बनाए गए थे। डीसीपी ने सबसे पहले उन स्थानों को चिन्हित किया जहां थाना प्रभारियों की मिलीभगत से गड़बड़ी चल रही थी। इसके बाद सात थानों के टीआइ को बारी-बारी से पुरानी केस डायरियां लेकर तलब करना शुरू कर दिया। इनमें पांच थाने ऐसे हैं जहां गंभीर और बड़े मामलों की जांचें लंबित हैं। कई थाना प्रभारी बदल गए लेकिन हाई प्रोफाइल मामलों के आरोपितों को पूरक चालान लगा कर छोड़ दिया। डीसीपी ने उन्हीं प्रकरणों को पकड़ा और थाना प्रभारियों की खिंचाई शुरू कर दी। समीक्षा बैठक में सार्वजनिक फटकार लगाई तो तनाव में आए टीआइ ने छुट्टी मांग ली।
अफसरों की लापरवाही से पुलिस की किरकिरी
रात्रि गश्त करने वाले अफसरों की लापरवाही पुलिस की साख बिगाड़ रही है। बीते दिनों बड़े घटनाक्रमों में जिम्मेदार गायब थे। इससे पुलिस की हुई किरकिरी से अफसर हैरान हैं। यशवंत निवास रोड पर नमकीन कारोबारी संदीप गुप्ता की मौत हुई तो तुकोगंज थाने से एएसआइ पहुंचे। देर रात हुई इस घटना में एसीपी-एडीसीपी नहीं गए। दूसरी घटना लसूड़िया थाना क्षेत्र में हुई। एक व्यक्ति के ट्रेन से कटने पर कैलोद हाला के रहवासियों ने थाना घेरा लेकिन अफसर खूंटी तानकर सो गए। रहवासियों ने न सिर्फ आने जाने वालों को पीटा बल्कि जाम भी लगाया। एबी रोड पर घंटों विवाद होता रहा लेकिन बड़े अफसर नदारद थे। दूसरे दिन जानकारी जुटाई तो पता चला एसीपी और एडीसीपी स्तर के अधिकारी गश्त पर थे लेकिन मौके पर नहीं गए। लापरवाही पर पत्राचार तो नहीं हुआ लेकिन मौखिक पूछताछ में सफाई में कहा कि उन्हें बुलाया ही नहीं था।
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