साल 2014 में एक टूरिस्ट ने तुर्की में अपना पासपोर्ट खो दिया. इसके बाद उसने भारत आने के लिए इस्तांबुल में भारतीय दूतावास की मदद मांगी. ये टूरिस्ट और कोई नहीं बल्कि एक आतंकवादी था. इस आतंकी का नाम मोहम्मद आसिफ है, जिसे एक आतंकी मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दोषी ठहराया है. आसिफ के अलावा इस मामले में कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अब्दुल रहमान कासमी, जफर मसूद और अब्दुल सामी को भी दोषी ठहराया है. जबकिदो संदिग्धों सैयद मोहम्मद ज़ीशान अली और सबील अहमद को बरी कर दिया.
दिसंबर साल 2015 में दिल्ली पुलिस को जानकारी मिली थी कि आतंकी संगठन अलकायदा भारत में अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) के जरिए पैठ बनाने की कोशिश रहा है. इसके बाद भारतीय खुफिया विभाग अल कायदा के पहले मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने में कामयाब रहा. इसी दौरान मोहम्मद आसिफ को अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.
यासीन भटकल ने किए थे चौंकाने वाले दावे
बड़ी बात यह है कि इंडियन मुजाहिदीन के प्रमुख यासीन भटकल ने अलकायदा की गतिविधियों को लेकर साल 2013 में ही चौंकाने वाले खुलासे कर दिए थे. उसने बताया था कि भारत में रहने वाले दो लोग भारत में अल कायदा के काम को संभाल रहे हैं. इसके बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने तुर्की, ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भटकल के दावे की गहराई से पड़ताल की और आसिफ को गिरफ्तार किया.
खुफिया सूत्रों ने जब आसिफ से पूछताछ की और उसने एजेंसियों को पहले अल कायदा मॉड्यूल तक पहुंचाया. उसने AQIS के प्रमुख मौलाना असीम उमर के बारे में खुफिया एजेंसियों को जानकारी दी. जांच पड़ताल हुई तो पता चला कि उमर उत्तर प्रदेश के संभल में सनाउल हक बनकर रह रहा था. वह फगानिस्तान और पाकिस्तान क्षेत्र से काम कर रहा था. उमर यूपी के उन दो भारतीयों में से एक था, जिनके बारे में भटकल बात कर रहा था. जबकि दूसरा शख्स खुद आसिफ था.
आसिफ के खुलासे पर हत्थे चढ़े कई आतंकी
आसिफ ने एजेंसियों को यह भी बताया कि कैसे इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक रियाज भटकल ने उमर से मिलने और भारत में अपने अभियान का विस्तार करने के लिए अल कायदा से समर्थन मांगने के लिए अफगानिस्तान का दौरा किया था. इसके बाद आसिफ की जानकारी पर खुफिया एजेंसियों ने फाइनेंसर मसूद, ओडिशा से रहमान और हरियाणा के मेवात से सामी को गिरफ्तार किया, जिन्हें बाद में दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया.
आसिफ ने आतंकी शिविर में बिताए थे 8 महीने
भारतीय खुफिया अधिकारियों ने उसे ईरान में ट्रैक किया और तुर्की भेजे जाने से पहले वह लगभग एक महीने तक हिरासत में रहा. बिना किसी यात्रा दस्तावेज के आसिफ ने दूतावास से मदद मांगी थी. आसिफ ने आठ महीने एक आतंकी शिविर में भी बिताए थे. पटियाला हाउस कोर्ट 14 फरवरी को दोषियों को सज़ा की अवधि पर दलीलें सुन सकता है और उन्हें अधिकतम उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है.