PM नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन (Heeraben Modi) नहीं रहीं. वो हीराबेन जिनका बचपन बिना मां के बीता. अक्षरों का ज्ञान नहीं हो पाया. कभी स्कूल नहीं गईं. आर्थिक तंगी का सबसे बुरा दौर देखा. परिवार में सबसे बड़ी होने के कारण बड़ी जिम्मेदारी संभाली. शादी हुई तो ससुराल में भी बड़ी बहू बनीं. वडनगर के जिस घर में रहती थीं वहां न तो खिड़की थी और न ही शौचालय. मिट्टी की दीवारों और खपरैल की छत से बने घर में रहीं.
जीवन के संघर्ष को हराते हुए हीराबेन ने सपना भी देखा. वो था घर को सुंदर बनाने का ख्वाब. पीएम मोदी ने मां के जन्मदिन पर ‘मां’ शीर्षक से एक ब्लॉग लिखा था. उन्होंने ब्लॉग में मां हीराबेन से जुड़े कई किस्सों का जिक्र किया.
पुरानी चीजों का सदुपयोग करने की आदत
पीएम मोदी लिखते हैं, मां को घर सुंदर बनाने का शौक रहा है. उनका पूरा दिन घर के लिए समर्पित रहता रहता था. घर में गोबर के कंडे जलने पर धुआंं होता था. घर में खिड़की न होने पर वो धुआं भर जाता था. इससे दीवारें काली पड़ जाती थी. कुछ हफ्तों के अंतराल पर मां दीवारों की पुताई करती थीं. इस तरह दीवारों में नयापन आ जाता था. वो मिट्टी की सुंदर कटोरियां बनाती थीं. उससे घरों को सजाती थीं. पुरानी चीजों को वापस इस्तेमाल करने लायक बनाने में भारतीय आगे रहे हैं. मेरी मां उसमें चैंपियन रहीं है.
चित्रकारी करके दीवारों में रौनक ला देती थीं
पीएम मोदी लिखते हैं, उन्हें हमेशा से घर को सजाने का शौक रहा. इसके लिए वो अनोखे तरीके अपनाती थी. पुराने कागजों को भिगोकर उसे इमजी के बीज के साथ पीसती थीं. इससे एक तरह का गोंद तैयार हो जाता था. इस गोंद को दीवारों पर लगाकर उस पर शीशे के टुकड़े लगाती थीं. इस तरह दीवार सुंदर नजर आने लगती थी. बाजार से कुछ न कुछ सामान लाकर घर के दरवाजों को सुंदर बनाने के साथ दीवारों पर चित्रकारी भी करती थीं.
चादर में सिलवटें और बिस्तर पर गंदगी बर्दाश्त नहीं थी
हीराबेन सिर्फ घर को सजाने के लिए ही नहीं, साफ-सफाई को लेकर किस कदर सख्त थीं, उसका जिक्र करते हुए पीएम मोदी खिलते हैं कि वो बिस्तर को साफ-सुथरा रखती थीं. बिस्तर पर धूल या चादर में सिलवटें उन्हें पसंद नहीं थीं. जरा ही सिलवट दिखने पर वो उसे झाड़कर बहुत करीने से बिछाती थीं. हम सभी मां की उस आदत का ध्यान रखते थे.
कुछ भी खिलाने के बाद मुंंह पोछने की आदत
आमतौर पर 70 से 80 साल के ज्यादातर लोग थकने लगते और दैनिक दिनचर्चा से जुड़े काम करने में असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन हीराबेन के साथ ऐसा नहीं था. पीएम मोदी लिखते हैं, वो अपने कामों के लिए कभी दूसरों पर निर्भर नहीं रहीं. उन्हें हर चीज में परफेक्शन पसंद था. जब भी मैं गांधीनगर जाता हूं वो मुझे अपने हाथ से मिठाई खिलाती हैं. उसके बाद रूमाल से मुंह जरूर पोछती हैं. इसके लिए वो साड़ी में हमेशा से एक रुमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं.
सफाईकर्मियों को हमेशा सम्मान दिया
पीएम मोदी लिखते हैं, उन्होंने हमेशा साफ-सफाई को अपनी प्राथमिकता बनाया और उन्हें बहुत मान दिया जो साफ-सफाई का काम करते हैं. हमारे वडनगर वाले घर के पास नाली की सफाई के लिए एक सफाईकर्मी आता था तो मां उसे बिना चाय पिलाए नहीं जाने देती थीं. धीरे-धीरे सफाई कर्मी इस बात को समझ गए कि काम करने के बाद अगर चाय पीनी है तो वो हमारे घर में ही मिल सकती है.
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