असम में कोकराझार की एक बुजुर्ग महिला अपने जमीन विवाद को लेकर सीधे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के पास पहुंच गईं. सीएम सरमा ने महिला की पूरी बात सुनी और अधिकारियों को उसी वक्त विवाद को निपटाने का आदेश भी दे दिया. सीएम ने महिला के साथ बातचीत का एक वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है, जिसमें महिला अपनी फरियाद सीधे मुख्यमंत्री से करती दिखाई दे रही हैं. मुख्यमंत्री ने बुजुर्ग महिला को आश्वासन दिया कि उनका काम हो जाएगा. सीएम सरमा रविवार को कोकराझार के दौरे पर थे.
सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने ट्विटर पर वीडियो साझा करते हुए लिखा, “सेवा करने में सक्षम बनाने के लिए भगवान की कृपा! कोकराझार के डीसी और एसपी को बुजुर्ग महिला के सामने आने वाले मुद्दों के समाधान की सलाह दी.” मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि महिला का भूमि विवाद सुलझाया जाए और उसे अपना घर मिल सके.
God’s grace to be able to serve!
Advised DC and SP of Kokrajhar to address issues faced by the revered old lady. pic.twitter.com/8XhcGCf1aY
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) November 13, 2022
सीएम सरमा ने महिला को दिया आश्वासन
सीएम द्वारा साझा किए गए वीडियो में बुजुर्ग महिला यह भी कहती दिख रही हैं कि उन्हें पेंशन के रूप में हर महीने 250 रुपए मिल रहे थे, जो उन्हें नहीं मिल रहे हैं. इसपर सीएम ने कहा कि उन्हें फरवरी महीने से फिर से पेंशन मिलने लगेंगे. सीएम ने उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें ओरुनोदोई योजना के तहत फरवरी से हर महीने 1250 रुपए दिए जाएंगे. सीएम ने इसके लिए अधिकारियों को निर्देश भी दिया ताकि ओरुनोदोई योजना के तहत महिला को प्रति महीने पेंशन के रूप में 1250 रुपए मिले.
महिला सशक्तिकरण के लिए ओरुनोदोई योजना
सीएम ने बुजुर्ग महिला से यह भी कहा कि ‘अगर आपको पेंशन नहीं मिलते हैं, तो मैं जब भी कोकराझार आऊं तो आप मेरे पास आ सकती हैं.” सीएम के बातचीत के हावभाव को देखते हुए ट्विटर पर कई प्रतिक्रियाएं मिलीं. मीडिया रिपोर्ट्स में राज्य के वित्त विभाग की वेबसाइट का हवाला दिया गया है और बताया गया है कि, ओरुनोदोई योजना सरकार द्वारा 2020 में शुरू की गई थी. योजना के दो उद्देश्य महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण और सतत विकास लक्ष्यों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के अनुसार गरीबों को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) से बाहर निकालना है. इस योजना के अबतक 19.32 लाख से अधिक लाभार्थी हो चुके हैं.