भारतीय रेल सुस्त और भ्रष्टाचारी कर्मचारियों से निजात पाने की कोशिश में लगा हुआ है. रेलवे से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रेलवे ने बीते 16 महीने में हर तीन दिन में एक “निकम्मे या भ्रष्ट अधिकारी” को बर्खास्त किया है. इसके अलावा 139 अधिकारियों पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए दबाव डाला जा रहा है जबकि 38 लोगों को हटा भी दिया गया है. रेल मंत्रालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बुधवार को वरिष्ठ स्तर के दो अधिकारियों को हटा दिया गया है.
सूत्रों ने कहा कि बुधवार को जिन 2 अफसरों को हटाया गया है, उनमें से एक को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने हैदराबाद में पांच लाख रुपये की रिश्वत के साथ जबकि दूसरे को रांची में 3 लाख रुपये के साथ पकड़ा था. एक अधिकारी ने कहा, “(रेलवे) मंत्री (अश्विनी वैष्णव) काम करो नहीं तो हटो के अपने संदेश के बारे में बहुत स्पष्ट हैं. हमने जुलाई 2021 से हर तीन दिन में रेलवे के एक भ्रष्ट अधिकारी को बाहर किया है.”
38 अफसरों को ड्यूटी से हटाया गया
इस तरह से पिछले 16 महीनों में हर तीन दिन में एक “सुस्त या भ्रष्ट अधिकारी” को हटा दिया गया है. 38 अफसरों को ड्यूटी से हटा दिया गया है जबकि 139 अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (voluntary retirement scheme) लेने के लिए मजबूर किया गया.
रेलवे ने कार्मिक और प्रशिक्षण सेवा नियमों के नियम 56 (जे) के तहत विभाग से जुड़े लोगों को आगाह किया था, जो यह कहता है कि एक सरकारी कर्मचारी को कम से कम तीन महीने की नोटिस या समान अवधि के लिए भुगतान करने के बाद उसे रिटायर या बर्खास्त किया जा सकता है.
यह कदम काम नहीं करने वालों को नौकरी से बाहर निकालने के केंद्र सरकार के प्रयासों का ही एक हिस्सा है. नौकरशाह से नेता बने अश्विनी वैष्णव, जुलाई 2021 में रेल मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, अधिकारियों को बार-बार इस संबंध में चेतावनी देते रहे हैं कि अगर वे प्रदर्शन नहीं करते हैं तो “वीआरएस लें और घर बैठ जाएं.”
139 में से कई नाराजगी में दिया इस्तीफा
जिन लोगों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (voluntary retirement) लेने के लिए मजबूर किया गया या बर्खास्त कर दिया गया उनमें इलेक्ट्रिकल और सिग्नलिंग, चिकित्सा तथा सिविल सेवाओं के अधिकारी और स्टोर, यातायात तथा यांत्रिक विभागों (mechanical departments) के कर्मचारी शामिल हैं.
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के तहत, एक कर्मचारी को सेवा के हर साल के लिए दो महीने के वेतन के बराबर वेतन दिया जाता है. लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति में समान लाभ उन्हें नहीं मिलेंगे.
मौलिक नियमों (Fundamental Rules) और सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 में समय से पहले सेवानिवृत्ति से संबंधित प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकारी को एफआर 56 (जे), एफआर 56 (एल) या सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 के नियम 48 (1) (बी) के तहत सरकारी कर्मचारी को रिटायरमेंट देने का पूर्ण अधिकार है, यदि जनहित में ऐसा करना आवश्यक हो.
हालांकि, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति में शामिल किए गए 139 में से कई अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने पदोन्नति से वंचित होने या छुट्टी पर भेजे जाने पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया और वीआरएस का विकल्प चुनने का फैसला किया. अधिकारियों ने कहा कि ऐसे भी मामले हैं जहां उन्हें सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनने के लिए मजबूर करने को लेकर कई तरह की परिस्थितियां भी बनाई गईं.
इनपुट- एजेंसी