सरकार ने आज कांग्रेस के नेतृत्व वाले दो गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है. पार्टी के जिन दो NGO का ‘फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट’ लाइसेंस निरस्त किया गया है, उनमें राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) शामिल हैं. इन एनजीओ पर कानून के उल्लंघन के आरोप में गृह मंत्रालय द्वारा यह कार्रवाई की गई है. एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस निरस्त होने पर बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि ये एनजीओ चीन से पैसे लेते थे, इसलिए इनको बंद करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया.
उन्होंने कहा, ‘आज एक भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, ये जो दो एनजीओ गांधी परिवार के थे, इन दोनों के ऊपर प्रतिबंध लगाने का काम मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (गृह मंत्रालय) ने किया है.’ पात्रा ने कहा, ‘आरजीएफ ने जाकिर नायक के फाउंडेशन से 50 लाख रूपये लिए थे.’ उन्होंने कहा, ‘देश की जनता धन्यवाद देती है कि जो एनजीओ चीन से पैसा लेती थी, उसे आज बंद करने का काम इस सरकार ने किया है.’
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी ने आरजीएफ के दूसरे घोटाले का भी पर्दाफाश किया है और वह यह कि प्रधानमंत्री नेशनल रीलीफ फंड का भी इन्होंने दुरुपयोग किया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 100 करोड़ के डोनेशन की बात की थी. लगभग 11 ऐसी कंपनियां हैं, जिसने सोनिया गांधी के एनजीओ में पैसा दिया.’ बता दें कि गृह मंत्रालय द्वारा 2020 में गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति की जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है.
दस्तावेजों के हेरफेर का आरोप
जांचकर्ताओं ने चीन सहित विदेशों से फंड प्राप्त करते समय मनी लॉन्ड्रिंग करने, फंड का दुरुपयोग और आयकर रिटर्न दाखिल करते समय दस्तावेजों के हेरफेर के आरोपों की जांच की थी. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आरजीएफ और आरजीसीटी की अध्यक्ष हैं. आरजीएफ के अन्य न्यासियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, कांग्रेस के नेता एवं सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे और अशोक गांगुली शामिल हैं.
आरजीसीटी के न्यासियों में राहुल गांधी, अशोक गांगुली, बंसी मेहता और दीप जोशी शामिल हैं. आरजीएफ की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना 1991 में हुई थी. आरजीएफ ने 1991 से 2009 तक महिलाओं, बच्चों और अक्षम लोगों को मदद देने के अलावा स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और शिक्षा क्षेत्र सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम किया. देश के वंचित तबके के लोगों, खासकर गांवों में रहने वाले गरीबों के विकास की आवश्यकता को पूरा करने के लिए 2002 में आरजीसीटी की स्थापना की गई थी.
अंतर-मंत्रालयी समिति की स्थापना
गृह मंत्रालय ने जुलाई 2020 में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), आयकर अधिनियम और एफसीआरए के संभावित उल्लंघन की जांच के लिए एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अधिकारी की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालयी समिति की स्थापना की थी, जिसके बाद ये एनजीओ जांच के घेरे में आए थे.
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(एजेंसी इनपुट के साथ)
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