2 सितंबर का दिन इंडियन नेवी के लिए काफी खास होने वाला है, क्योंकि इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘आईएनएस विक्रांत‘ को इंडियन नेवी में शामिल करेंगे. इसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दी गई है, जिसमें बताया गया है कि पीएम मोदी कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में एक समारोह के दौरान आईएनएस विक्रांत को इंडियन नेवी में कमीशन कर देंगे. इसके साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा छह देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने 40 हजार टन से ज्यादा वजन का एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है. इस खास दिन से पहले नौसेना ने आईएनएस विक्रांत बनने की पूरी कहानी बताई है.
इंडियन नेवी ने बताया कि इसको बनाने की जरूरत साल 1999 में कारगिल युद्ध के बाद महसूस हुई, लेकिन इस विशाल युद्धपोत के निर्माण को मंजूरी तीन साल बाद अटल बिहारी बाजपेयी की अगुवाई वाली कैबिनेट से 2002 में मिली. इस युद्धपोत को खास तरीके से डिजाइन किया गया है, ताकि एयरक्राफ्ट के टेक ऑफ और लैडिंग में कोई दिक्कत आए. यही वजह है कि इसका आगे का हिस्सा उठा हुआ सा है. इसकी वजह से कम जगह में भी एयरक्राफ्ट टेक ऑफ और लैंड कर सकेगा.
20 हजार करोड़ की लागत से किया गया तैयार
करीब 20,000 करोड़ रुपए की लागत से बने इस एयरक्राफ्ट कैरियर ने पिछले महीने समुद्री परीक्षणों के चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया था. तब नौसेना के उप प्रमुख ने बताया कि आईएनएस विक्रांत के लिए देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपकरण बनाए गए हैं. इसके लिए अंबाला, दमन, कोलकाता, जालंधर, कोटा, पुणे और दिल्ली जैसे शहरों में भी उपकरण बनाए गए हैं. उन्होंने जानकारी दी कि आईएनएस विक्रांत के लिए 2500 किलोमीटर लंबे बिजली के तारों का निर्माण भारत में किया गया है.
INS विक्रांत की खासियत
आईएनएस विक्रांत की खासियत पर नजर डालें तो यह यह पूरी तरह स्वदेशी युद्धपोत है. इसकी लंबाई 262 मीटर है और चौड़ाई 60 मीटर है. इसके वजन की बात करें तो यह 45 हजार टन वजनी जहाज है. आईएनएस विक्रांत एक साथ 30 फाइटर प्लेन्स को संचालित करने में सक्षम है. पोत का डिजाइन भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. बयान में कहा गया है कि विक्रांत अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल पोत है.
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