गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करों से छुड़ाए गए मवेशियों खासकर गायों के लिए एक स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित करने के लिए कहा है. सूत्रों ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि कांग्रेस सांसद अभिषेक सिंघवी की अध्यक्षता में समिति की सोमवार शाम बैठक हुई. समिति ने बीएसएफ को तस्करों से मुक्त कराए गए मवेशियों के संबंध में लिखित विस्तृत कार्ययोजना पेश करने को कहा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी पशु की मौत नहीं हो.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की अगुवाई वाली गृह मामलों की स्थायी समिति, भारत की 4,096 किलोमीटर लंबी और बांग्लादेश के साथ पोरस बॉर्डर पर गाय तस्करी के खतरे की समीक्षा कर रही है, जो पश्चिम बंगाल में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच एक प्रमुख राजनीतिक संघर्ष की वजह भी रही है.
बॉर्डर पर पशु तस्करी बड़ी समस्या
सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने समिति के समक्ष गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की ‘कम उपस्थिति’ का मुद्दा भी उठाया. बीएसएफ के महानिदेशक पंकज सिंह ने इससे पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर सीमा सुरक्षा बल के कामकाज और इसकी कार्ययोजना के संबंध में समिति के समक्ष विस्तृत प्रस्तुति दी.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद दिलीप घोष के एक सवाल के जवाब में पंकज सिंह ने सीमाओं पर मवेशियों की तस्करी की समस्या का जिक्र किया और कहा कि अर्धसैनिक बल इससे अवगत है.
मवेशियों का इंतजाम BSF के लिए सिरदर्दी
ऐसा समझा जाता है कि पंकज सिंह ने जिक्र किया कि छुड़ाए गए मवेशी बीएसएफ के लिए मुसीबत बन गए हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों के अनुसार, उनकी नीलामी नहीं की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में अपने एक आदेश में बीएसएफ को गायों को गैर सरकारी संगठनों या पशु कल्याण संगठनों को सौंपने का निर्देश दिया क्योंकि सीमा शुल्क के पास जब्त किए गए जानवरों को संभालने के लिए उचित बुनियादी ढांचा नहीं है. ऐसा माना जाता है कि पुरानी प्रक्रिया में बड़ी खामियां थीं क्योंकि यह पाया गया कि जब्त किए गए मवेशियों को सीमा शुल्क विभाग द्वारा नीलाम कर दिया जाता था और इसे ज्यादातर तस्करों द्वारा खरीद लिया जाता था.
पंकज सिंह ने कहा कि बीएसएफ को पुनर्वास और देखभाल के लिए इन मवेशियों को सौंपने के लिए पशु कल्याण संगठनों की तलाश करनी पड़ती है. पहले ऐसे मवेशियों को सीमा शुल्क विभाग को सौंप दिया जाता था. उन्होंने कहा कि दिक्कत यह है कि इनमें से कई मवेशी बूढ़े और बीमार हैं.
सूत्रों के मुताबिक समिति ने ब्यौरा मांगा है कि पिछले तीन साल में कितने मवेशियों की मौत हुई है. समिति ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की कार्यप्रणाली’ विषय पर गृह मंत्रालय और सीमा सुरक्षा बल की राय सुन रही थी.
इनपुट- एजेंसी/भाषा
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