आज भी भारत में कई प्रथाएं ब्रिटिश हुकूमत के समय से चली आ रही हैं. आजाद हिंदुस्तान में भी इनको ढोया रहा है. भारत में अब भारतीय सेना पुराने नियमों और नीतियों की समीक्षा करने जा रही है. ये नियम और नीतियां ब्रिटिश काल से चली आ रहीं हैं. इस बैठक में यूनिटों और रेजीमेंटों के नामों की भी समीक्षा की जाएगी. भारतीय सेना की तरफ से आए बयान में कहा गया कि कुछ विरासत प्रथाओं की समीक्षा की आवश्यकता होती है, जैसे औपनिवेशिक और पूर्व-औपनिवेशिक काल से रीति-रिवाज, परंपराएं, सेना की वर्दी…
सेना की ओर से कहा गया कि सदियों पु्राने चली आ रही चीजों को बदलाव की आवश्यकता होती है. सेना की कुछ इकाइयों के अंग्रेजी नाम, नाम बदलना इमारतों, प्रतिष्ठानों, सड़कों, पार्कों सहित सभी की समीक्षा की जाएगी. सेना मानद कमीशन और बीटिंग रिट्रीट और रेजिमेंट सिस्टम जैसे समारोहों की भी समीक्षा करेगी.सेना ने कहा कि पुरानी और अप्रभावी प्रथाओं से दूर जाना आवश्यक है. यूनिट में नाम और प्रतीक चिन्ह, औपनिवेशिक काल के शिखर के साथ-साथ अधिकारियों की मेस प्रक्रियाओं और परंपराओं और रीति-रिवाजों की भी समीक्षा होगी.
आज होने जा रही है अहम बैठक
सूत्रों के मुताबिक सेना के एडजुटेंट जनरल लेफ्टिनेंट जनरल सी बंसी पोनप्पा की अध्यक्षता में आज बैठक होने वाली है. आज इस इस आंतरिक बैठक में इस मुद्दे पर विस्तृत बातचीत हो सकती है. जानकारी के मुताबिक यह प्रयास अमृत काल के तहत हो रहा है. 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की आजादी के 75वें वर्ष को आजादी का अमृतकाल कहा था. इसके तहत भारत में आजादी का अमृत महोत्सव भी मनाया गया था.
आजादी के बाद भी ढो रहे हैं अंग्रेजी कानून
आसान भाषा में समझने की कोशिश करें तो ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे पहले कई कानूनों को बदला गया है. ये कानून और प्रथाएं अंग्रेजी हुकूमत के समय की हैं. अंग्रेजी हुकूमत ने अपने अनुरूप चीजों के नाम दिए हैं. सड़कें, पुरानी धरोहरें, रेलवे स्टेशन तक के नाम उन्होंने अपने अनुरूप रखे थे. धीरे-धीरे इनको खत्म किया जा रहा है. सेना में भी अभी बहुत सारे ऐसे कानून और नियम हैं जोकि ब्रिटिश काल से चली आ रही हैं. कई इमारतें ऐसी हैं जिनको उन्हीं के नाम से जाना जाता है तो अब सेना रिव्यू करेगी और इसके बाद इनको बदला जाएगा.
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