विदेश मंत्री एस जयशंकर, इस समय संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं, ने कल सोमवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को खत्म किए जाने के मुद्दे पर खुलकर बात की, और पक्षपाती रिपोर्टिंग के लिए अमेरिकी मीडिया को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि अस्थायी प्रावधान को अब खत्म कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने कानून और व्यवस्था की स्थिति में इंटरनेट सेवाओं को बंद करने की आलोचना करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि यदि आप एक ऐसे स्तर पर पहुंच गए हैं जहां आप कहते हैं कि इंटरनेट बंद कर देना मानव जीवन के नुकसान से अधिक खतरनाक है, तो मैं क्या कह सकता हूं.
जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने को लेकर हो रही आलोचना पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “यदि आप अनुच्छेद-370 के मुद्दे को देखते हैं, तो संविधान के इस अस्थायी प्रावधान को आखिरकार खत्म कर दिया गया है. इसे बहुसंख्यकवादी लोगों का काम कहा गया, अब मुझे ये बताओ कि कश्मीर में जो हो रहा था क्या वह बहुसंख्यक नहीं था?” उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि तथ्यों को झुकाया जाता है… क्या सही है और क्या गलत है, इस पर बहस होती है. यह वास्तव में काम पर होने वाली राजनीति है.”
#WATCH | "If you look at the Article 370 issue,what was a temporary provision of the Constitution was finally put to rest. This was supposed to be an act of majoritarian, now tell me what was happening in Kashmir was not majoritarian?" says EAM Dr S Jaishankar
(Source: EAM's FB) pic.twitter.com/64SNXyjNCz
— ANI (@ANI) September 26, 2022
2019 में 5 अगस्त को खत्म हो गई थी यह धारा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से संविधान की अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को खत्म किए अब तीन साल हो चुके हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा किया गया था. 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने अप्रत्याशित फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के साथ ही दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में भी विभाजित कर दिया.
सरकार ने तब इस फैसले को “ऐतिहासिक” कदम के रूप में बताया और इसे भारत को “एकजुट और एकीकृत” करने की दिशा में सही कदम करार दिया. पाकिस्तान की सीमा से सटे जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था की स्थिति अक्सर चिंता का विषय रही है, जो इस वजह से इसका असर इंटरनेट सेवाओं पर भी पड़ता है.
‘अमेरिकी मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया’
कश्मीर मुद्दे को अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन डीसी में गलत तरीके से पेश किए जाने के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि अगर कोई आतंकवादी घटना होती है तो यह मायने नहीं रखता कि किस धर्म के व्यक्ति की जान गई. उन्होंने कहा, “चाहे भारतीय सैनिक या भारतीय पुलिस कर्मियों का अपहरण किया जाए, चाहे सरकारी कर्मचारियों या अपने काम पर जा रहे आम नागरिकों की जान जाए? आपने कब लोगों को इस बारे में बात करते, निंदा करते सुना है… बल्कि मीडिया की खबरों को देखिए. मीडिया में क्या दिखाया जाता है और क्या नहीं दिखाया जाता?”
वाशिंगटन पोस्ट वाशिंगटन डीसी में प्रकाशित होने वाला अमेरिका राष्ट्रीय डेली पेपर है और इसके मालिक अमेजन के जेफ बेजोस हैं. जयशंकर ने भारत विरोधी ताकतों के मजबूत होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, “मेरा यह कहना है कि कुछ लोग पूर्वाग्रही हैं… वे कोशिश करते हैं फैसले तय करने की… और जैसे-जैसे भारत अपने फैसले खुद करना शुरू करेगा, इस तरह के लोग जो अपने को संरक्षक की भूमिका में देखते हैं उनके विचार बाहर आएंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समूहों कि “भारत में जीत नहीं हो रही है.”
Pleasure to meet @SecDef once again.
Defence and Security cooperation is a key pillar of the contemporary India-US partnership. We noted the steady progress in policy exchange, interoperability, defense trade, service exercises and military-industrial cooperation. pic.twitter.com/9AkvTkALGk
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 26, 2022
इस बीच, जयशंकर अमेरिका में लगातार बैठक कर रहे हैं. उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ अपनी बैठक की फोटे ट्विटर पर साझा किए. उन्होंने रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात को सुखद बताया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, “रक्षा और सुरक्षा सहयोग वर्तमान में भारत और अमेरिका साझेदारी का एक अहम स्तंभ है. हमने नीति आदान-प्रदान (policy exchange), पारस्परिकता (interoperability), रक्षा व्यापार, सेवा अभ्यास और सैन्य-औद्योगिक सहयोग में निरंतर प्रगति हासिल की है.”
इनपुट- एजेंसी/भाषा
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