राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को राष्ट्र को संबोधित करेंगी. राष्ट्रपति के तौर पर राष्ट्र के नाम यह उनका पहला संबोधन होगा. राष्ट्रपति भवन ने एक बयान में यह जानकारी दी. बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति के संबोधन का प्रसारण आकाशवाणी के सभी राष्ट्रीय नेटवर्क पर तथा दूरदर्शन के सभी चैनलों पर शाम 7 बजे से किया जाएगा. इसे पहले हिंदी में और उसके बाद अंग्रेजी में प्रसारित किया जाएगा.
25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में ली शपथ
बयान में कहा गया है, ‘दूरदर्शन पर हिंदी और अंग्रेजी में संबोधन के प्रसारण के बाद इसके क्षेत्रीय चैनलों द्वारा संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में इसे प्रसारित किया जाएगा. आकाशवाणी अपने संबंधित क्षेत्रीय नेटवर्क पर रात 9.30 बजे क्षेत्रीय भाषा में इसे प्रसारित करेगा.’ 64 वर्षीय मुर्मू ने 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. वह शीर्ष संवैधानिक पद पर आसीन होने वाली सबसे कम उम्र की और पहली आदिवासी हैं. वह ऐसी पहली राष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म देश की आजादी के बाद हुआ है.
हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत
बता दें कि देश की आजादी की 75वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की शुरुआत शनिवार को हुई. केंद्र सरकार ने लोगों से 13 से 15 अगस्त के बीच अपने-अपने घरों पर तिरंगा लगाने की अपील की है. देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोहों से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इमारतें राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों की रोशनी से जगमग करती नजर आईं, जबकि लोगों ने अपने-अपने घरों के ऊपर और वाहनों पर तिरंगा झंडा लगा रखा है.
यशवंत सिन्हा को हराकर रचा था इतिहास
गौरतलब है कि मुर्मू ने विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर इतिहास रचा था. मुर्मू को सांसदों और विधायकों के 64 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे और उन्होंने भारी मतों के अंतर से चुनाव जीता. मुर्मू को सिन्हा के 3,80,177 वोटों के मुकाबले 6,76,803 वोट मिले थे. बता दें कि वह आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं. वह राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला भी हैं.
ऐसे हुई थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत
द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन शुरू किया और उसके बाद धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति में कदम रखा. साल 1997 में उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. उपरबेड़ा गांव के एक साधारण आदिवासी परिवार से आने वाली 64 वर्षीय मुर्मू ने भारत का राष्ट्रपति बनने तक पार्षद से लेकर मंत्री और झारखंड के राज्यपाल पद तक का लंबा सफर तय किया है.
(भाषा से इनपुट)
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