पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी पर कुछ क्षेत्रों में जारी तनाव को कम करने के मकसद से भारत और चीन (China) की सेना के बीच रविवार को कमांडर स्तर की बातचीत हुई. चुशूल-मोलदो पॉइंट पर यह बैठक करीब 12 घंटे तक चली. इस दौरान भारत की ओर से चीन पर एलएसी (LAC) पर तैनात उसके सैनिकों को पीछे हटाने का दबाव डाला गया. हालांकि इस बैठक के संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है. भारतीय सेना (Indian Army) और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच रविवार से पहले 11 मार्च को सैन्य बातचीत हुई थी.
एलएसी पर भारतीय सीमा की ओर चुशूल मोल्दो बैठक स्थल पर सुबह करीब साढ़े नौ बजे बातचीत शुरू हुई थी, जो रात 10 बजे तक चली. कहा जा रहा है कि हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के पैट्रोलिंग पॉइंट 15 में पूरी तरह से सेना को पीछे हटाने को लेकर भी बातचीत में प्रगति होने की संभावना जताई गई है. रविवार को हुई 16वें राउंड की सैन्य वार्ता में भारत ने चीन से अप्रैल 2020 से पहले एलएसी पर जारी यथास्थिति को फिर से बरकरार रखने की बात की. अप्रैल 2020 के बाद से ही दोनों देशों के बीच एलएसी पर गतिरोध जारी है.
11 मार्च को हुई थी 15वें राउंड की वार्ता
इस सैन्य वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंदय सेनगुप्ता ने किया. वहीं, चीन के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने की. भारत लगातार यह कहता रहा है कि एलएसी पर शांति और सामंजस्य बनाए रखना द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए अहम है. वहीं भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच 11 मार्च को हुई 15वें चरण की बातचीत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था. दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि मुद्दों के समाधान से क्षेत्र में शांति और सामंजस्य बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति होगी.
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दोनों देशों के 60 हजार सैनिकों की है तैनाती
भारत और चीन के सशस्त्र बलों के बीच मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं. भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए अब तक कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता की है. दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप कुछ इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने का काम भी हुआ है. मौजूदा वक्त में एलएसी के संवेदनशील क्षेत्रों में दोनों देशों के करीब 60,000 सैनिक तैनात हैं. (इनपुट भाषा से भी)