गुजरात के चर्चित पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट (Former IPS Sanjiv Bhatt Arrested) को फिर गिरफ्तार कर लिया गया है. इस बार गिरफ्तारी अहमदाबाद की अपराध शाखा (Crime Branch Ahmedabad Police) द्वारा मंगलवार को की गई. यह गिरफ्तारी गुजरात दंगा (Gujarat Riots) मामले में की गई बताई जाती है. अहमदाबाद पुलिस क्राइम ब्रांच के मुताबिक संजीव भट्ट की गिरफ्तारी, कुछ दिन पहले गिरफ्तार की गई सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व विवादित आईपीएस अधिकारी आर बी श्रीकुमार की गिरफ्तारी से ही जुड़ी हुई है. इस नए मुकदमे को क्राइम ब्रांच के ही एक अधिकारी के बयान पर बीते दिनो ही दर्ज किया गया था. जिसमें आरोप लगाया गया था कि, पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार ने षडयंत्र रचकर, कुछ लोगों को बेकसूर होते हुए भी उन्हें कानूनी शिकंजे में फंसाने की कोशिश की थी.
दोबारा जेल से किए गए गिरफ्तार
गुजरात कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट लंबे समय से बनासकांठा जेल में बंद हैं. अब उनकी गिरफ्तारी हाल ही में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज मुकदमे में की गई है. जिसके तहत उन्हें इस बार जेल के अंदर से ही गिरफ्तार किया गया है. असल में अहमदाबाद पुलिस के अधिकारी ने इस नए मुकदमे में जो आरोप पूर्व आईपीए संजीव भट्ट पर लगाए हैं, उसमें तीस्ता सीतलवाड़ का नाम भी शामिल है. संजीव भट्ट के ऊपर धन के गबन और कागजों में हेराफेरी करने-कराने का आरोप भी लगा है.
तीस्ता सीतलवाड़ आर बी श्रीकुमार पहले से हिरासत में
तीस्ता सीतलवाड़ और उनके साथ पूर्व आईपीएस अधिकारी आर बी श्रीकुमार को पहले ही अहमदाबाद क्राइम ब्रांच गिरफ्तार कर चुकी है. वे दोनो अभी तक हिरासत में ही हैं. जबकि मंगलवार को गिरफ्तार के वक्त तक पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट, बनासकांठा जिले के पालनपुर की जेल में हिरासत में हुई मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. उन्हें जेल से ही अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को कानूनी तौर पर दुबारा गिरफ्तार कर लिया है. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की माने तो संजीव भट्ट से उन तमाम तथ्यों-बातों की पुष्टि करनी है जो, पहले गिरफ्तार तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार ने बताए हैं. बिना संजीव भट्ट को जेल से गिरफ्तार किए, तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार से चल रही पूछताछ पूरी होना असंभव था.
नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट दे चुका है क्लीन चिट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (मौजूदा प्रधानमंत्री) को क्लिन चिट दे दी थी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली गुजरात दंगा पीड़िता जाकिया जाफरी की उस याचिका पर भी सुनवाई करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ ने निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए जाकिया जाफरी की आड़ लेकर कई गलत कदम उठाए थे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तभी संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार द्वारा दाखिल झूठे हलफनामों का जिक्र भी खुलकर किया था. यह सब संजीव भट्ट, आरबी श्रीकुमार और तीस्ता सीतलवाड़ की मिली भगत से संभव हो सका था.
हालांकि सन् 2002 में गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच प्रकोष्ठ (एसआईटी) ने, अपनी जांच में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘क्लिन चिट’ दे दी थी. जिसके खिलाफ फिर तीस्ता सीतलवाड़ शीर्ष अदालत में पहुंच गईं थी.