महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA Government) गिर चुकी है. शिवसेना दो फाड़ हो चुकी है, ऐसे में अब महा विकास अघाड़ी गठबंधन का भविष्य में खतरे में पड़ गया है. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले (Maharashtra Congress President Nana Patole) ने एमएलसी चुनावों में विधायकों की क्रॉस वोटिंग, फ्लोर टेस्ट में विधायकों के नदारद रहने के साथ ही महाविकास अघाड़ी के भविष्य को लेकर 10 जनपथ पहुंचे. महाराष्ट्र का मसला इतना अहम था कि कोविड से ठीक होकर राहुल की मौजूदगी में खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी हिस्सा लिया. इसमें पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे.
सूत्रों के मुताबिक, नाना पटोले ने सबसे पहले राज्य इकाई में संगठन में अनुशासन कड़ा करने की मांग की और एमएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा, जिस पर आलाकमान ने भी सहमति जताई. वहीं फ्लोर टेस्ट में नदारद विधायकों को भी कड़ा संदेश देने पर भी सहमति बनी. फिर बात आई महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के भविष्य की. सूत्रों के मुताबिक, नाना पटोले ने आलाकमान को बताया कि बीजेपी को रोकने के लिए और महाराष्ट्र के विकास के लिए हमने एक सरकार बनाई, जिसमें हम जूनियर पार्टनर ही थे. वो एक विषम परिस्थितियों में उठाया गया क़दम था. अब जब सरकार गिर चुकी है तो कांग्रेस को अब पूरा ध्यान बतौर मज़बूत विपक्ष भूमिका को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिस पर उनको आलाकमान ने हरी झंडी दे दी.
कांग्रेस को गंवाना होगा अपनी सियासी ज़मीन का बड़ा हिस्सा
दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि सरकार जाने के बाद गठबंधन का हिस्सा रहना उसके लिए मुफीद नहीं है. आने वाले बीएमसी चुनावों के मद्देनजर उसको अकेलेदम तैयारी करनी चाहिए. पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी फीडबैक यही आया है कि, सरकार में सीएम, डिप्टी सीएम शिवसेना एनसीपी के पास था. कांग्रेस संगठन को सरकार में रहने का नुकसान ही रहा. वैसे सरकार भले ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चली हो, लेकिन शिवसेना और कांग्रेस के तालमेल को चुनावों में ज़मीन पर उतारना खासा कठिन है. वहीं तीन दलों के गठजोड़ से कांग्रेस को अपनी सियासी ज़मीन का बड़ा हिस्सा भी गंवाना होगा.
हम अभी तो साथ हैं लेकिन…
लेकिन शिवसेना के हालात और आने वाले वक्त के लिहाज से फिलहाल कोई फैसला करने के बजाय अंदरखाने अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करते हुए मुख्य विपक्षी की भूमिका अदा करने की है. हालांकि, अभी वो खुद फैसला करने के बजाय तेल देखो और तेल की धार देखो की तर्ज पर अपनी तरफ से गठजोड़ तोड़ने का इल्जाम अपने सिर नहीं लेना चाहती. लेकिन वो सही वक्त, सही मुद्दे और यही हालात का इंतज़ार कर रही है. इस मुद्दे पर सोनिया राहुल से मुलाकात के बाद टीवी 9 भारतवर्ष से खास बातचीत में नाना पटोले ने कहा कि फिलहाल हम अपनी पार्टी बतौर विपक्ष मज़बूती से स्थापित करेंगे. बाकी गठबंधन वगैरह बाद के फैसले हैं. हम अभी तो साथ हैं, लेकिन सामने वाला पक्ष क्या फैसले करता है, क्या हालात होते हैं, ये अभी नहीं बोल सकता.