भारत की जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साल 2015-2019 की अवधि के दौरान भारत की जीवन प्रत्याशा में दो साल की वृद्धि देखी गई, जिसके बाद भारत की लाइफ एक्सपेक्टेंसी (India Life Expectancy) अब बढ़कर 69.7 वर्ष हो गई है. हालांकि अनुमानित वैश्विक औसत जीवन प्रत्याशा से ये अब भी कम है, जो 72.6 वर्ष है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि लाइफ एक्सपेक्टेंसी में दो साल की वृद्धि होने में लगभग 10 साल लग गए.
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की 2015-19 के लाइफ टेबल के डेटा से मालूम चलता है कि जन्म के वक्त लाइफ एक्सपेक्टेंसी और एक या 5 साल की उम्र में लाइफ एक्सपेक्टेंसी के बीच का अंतर उन राज्यों में सबसे ज्यादा है, जहां उच्चतम शिशु मृत्यु दर (IMR) है, जैसे- मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश. उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे ज्यादा 38 IMR दर्ज किया गया, जिसके चलते जीवन प्रत्याशा में सबसे अधिक उछाल देखा गया. यूपी में 3.4 साल तक जीवन प्रत्याशा बढ़ी है, जो पहले साल के पूरा होने पर हुआ. वहीं, मध्यप्रदेश में 43 IMR दर्ज किया गया. यहां पैदा हुए बच्चों की वजह से जीवन प्रत्याशा 2.7 साल तक बढ़ी.
1970-75 में 49.7 थी लाइफ एक्सपेक्टेंसी
वहीं, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, असम और ओडिशा समेत कई राज्यों में जन्म के वक्त और एक साल में व्यक्ति कितने समय तक जिंदा रहने की उम्मीद कर सकता है. इसको लेकर यहां बड़ा अंतर देखा जाता है. भारत ने 45 सालों के दौरान जन्म के समय अपनी जीवन प्रत्याशा में लगभग 20 साल जोड़े थे. जहां 1970-75 में लाइफ एक्सपेक्टेंसी 49.7 थी, तो वहीं 2015-19 तक बढ़कर ये 69.7 हो गई. ओडिशा की लाइफ एक्सपेक्टेंसी में भी 24 साल की वृद्धि (45.7 से 69.8 वर्ष) देखी गई है. उसके बाद तमिलनाडु में 49.6 से 72.6 वर्ष तक की बढ़ोतरी देखी गई है.
छत्तीसगढ़ सबसे कम जीवन प्रत्याशा वाला राज्य
2015-19 के दौरान उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ के बाद दूसरा सबसे कम जीवन प्रत्याशा वाला राज्य (65.6) रहा. जबकि छत्तीसगढ़ की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 65.3 रही. हालांकि, भारत में सबसे कम जीवन प्रत्याशा 1970-75 के दौरान सिर्फ 43 वर्ष देखी गई. इसकी तुलना में उत्तर प्रदेश में 22.6 वर्ष की वृद्धि दर्ज हुई. हिमाचल प्रदेश में शहरी महिलाओं की जीवन प्रत्याशा सबसे ज्यादा 82.3 वर्ष रही. जबकि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण पुरुषों में सबसे कम लाइफ एक्सपेक्टेंसी (केवल 62.8 वर्ष) देखी गई, इसमें 15.8 वर्ष का अंतर था. वहीं, असम के ग्रामीण और शहरी इलाकों के मध्य जीवन प्रत्याशा में अंतर लगभग 8 साल का है. केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां ग्रामीण की जीवन प्रत्याशा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शहरी जीवन प्रत्याशा की तुलना में अधिक रही. जबकि उत्तराखंड में महिलाओं के मामले में ऐसा नहीं देखा गया.