भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख (eastern ladakh) में पिछले दो साल से सीमा विवाद बना हुआ है और विवाद को खत्म किए जाने को लेकर दोनों पक्षों के बीच 15 दौर की घंटों लंबी बात हो चुकी है. लेकिन अभी कई मुद्दों पर समाधान निकाला जाना बाकी है. इस बीच पिछले महीने जब चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Foreign Minister Wang Yi) ने भारत का दौरा किया, उस समय बीजिंग ने दिल्ली को पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स इलाके (Hot Springs area) में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (Patrolling Point 15) से सैनिकों को पीछे हटाने का प्रस्ताव भेजा था. हालांकि भारत ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकारी सूत्रों की ओर से कहा गया कि चीन ने प्रस्ताव दिया था कि भारतीय सैनिक, जो करीब दो सालों से पीपी 15 पर चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने टकराव की स्थिति में हैं, पीपी 16 और पीपी 17 के बीच करम सिंह पोस्ट पर वापस चले जाएं. चीन ने कहा कि यह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के ठीक पीछे अपने सैनिकों को वापस ले जाना चाहिए, जैसा कि उस क्षेत्र में भारत की ओर से दावा किया गया है.
भारत के लिए प्रस्ताव स्वीकारना असंभव
सूत्रों ने कहा कि इसे स्वीकार करना भारत के लिए अस्वीकार्य होगा क्योंकि चीनी दावा रेखा (Chinese claim line) और एलएसी के बारे में भारत की समझ पीपी 15 पर लगभग एक-दूसरे को अलग करती है. यदि भारत इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो इसका मतलब यह होगा कि चीनी सैनिकों को बहुत कम पीछे हटना होगा, जबकि भारतीय सैनिकों को कई किलोमीटर तक पीछे हटना होगा.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘जबकि वे पीपी 15 के पीछे वापस चले जाएंगे, वे हमें पीपी 16 को भी छोड़ने के लिए कह रहे हैं, जिस पर चीन ने पहले कभी ही दावा नहीं किया था. यह उस तरह से कहने जैसा है कि मैं 1 किमी पीछे हटूंगा और आप 5 से 10 किलोमीटर तक पीछे चले जाएं. यह चर्चा के प्रस्ताव की शुरुआत नहीं है.’सूत्रों ने दावा करते हुए कहा कि कि पीपी 15 अभी विवादों में आया है और यह पहले कभी नहीं था.
देपसांग प्लेंस में दोनों पक्षों में जारी तनातनी
सुदूर उत्तर में देपसांग प्लेंस (Depsang Plains) में भी स्थिति उत्साहजनक नहीं है. वहां पर चीनियों ने भारतीय सैनिकों को उनके पारंपरिक पेट्रोलिंग प्वाइंट्स 10, 11, 11 ए, 12 और 13 तक पहुंचने से रोक रखा है, सरकार के पास उपलब्ध जानकारी यह है कि चीन ने अपनी की ओर इन पेट्रोलिंग प्वाइंट्स के पीछे सड़क निर्माण के लिए एक अस्थायी हॉट-मिक्स प्लांट तैनात रखा है.
पिछले महीने वांग यी भारत की यात्रा पर आए थे. वे 24 मार्च की शाम पहुंचे और अगले दिन बातचीत के बाद वापस चले गए. लगभग दो करीब में भारत और चीन के बीच पहली बड़ी राजनयिक बैठक में, वांग और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध और यूक्रेन में संकट के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संबंध में भी व्यापक बातचीत की.
भारत की ओर से पिछले महीने हुई इस मुलाकात के दौरान चीन को स्पष्ट रूप से कहा गया कि पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष बिंदुओं से पीछे हटने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति असामान्य होगी तब द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते. चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ करीब तीन घंटे ‘खुले एवं स्पष्ट’ रूप से बातचीत के बाद भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों की बहाली के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं अमन बहाल होना जरूरी है.
सीमा विवाद खत्म करने को लेकर भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 15वें दौर की वार्ता 11 मार्च को हुई थी. हालांकि बैठक में गतिरोध खत्म करने को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई.
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