केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने गुरुवार को नई दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा और निशिथ प्रामाणिक, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भृर्तहरि महताब और समिति के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे. इस अवसर पर गृह मंत्री ने समिति सदस्यों की सर्वसम्मति से समिति प्रतिवेदन के 11वें खंड को राष्ट्रपति (President) के पास भेजने को मंजूरी दी. अमित शाह ने कहा कि मौजूदा राजभाषा समिति (official language committee) जिस गति से काम कर रही है, इससे पहले शायद ही कभी इस गति से काम हुआ हो. उन्होंने कहा कि एक ही समिति के कालखंड में तीन रिपोर्ट का राष्ट्रपति के पास भेजा जाना सबकी एक बड़ी साझा उपलब्धि है.
केंद्रीय गृह मंत्री ने तीन प्रमुख बिंदुओं पर जोर देने का आग्रह किया. इनमें समिति प्रतिवेदन के पहले से 11वें खंड तक की गई अनुशंसाओं के कार्यान्वयन के लिए जुलाई में एक बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया. अमित शाह ने कहा कि बैठक में राजभाषा सचिव खंडवार प्रतिवेदन पर अमल के बारे में सदस्यों को जानकारी दें. दूसरे बिंदु के अंतर्गत नौवीं कक्षा तक के छात्रों को हिंदी की प्राथमिक जानकारी देने और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया. तीसरे बिंदु के अंतर्गत केंद्रीय गृह मंत्री ने हिंदी शब्दकोश को नया बनाकर फिर से प्रकाशित करने का सुझाव दिया.
हिंदी का महत्व निश्चित तौर पर बढ़ेगा- अमित शाह
अमित शाह ने ये भी कहा कि राजभाषा समिति के पहले से 11वें खंड की सिफारिशों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा के लिए सभी संबंधित सचिवों के साथ बैठक कर सिफारिशों को लागू करने के लिए एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया जाना चाहिए. राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे हिंदी का महत्व निश्चित तौर पर बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि अब राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाने का समय आ गया है. साथ ही कहा कि अन्य भाषा वाले राज्यों के नागरिक जब आपस में संवाद करें तो वो भारत की भाषा में हो. अमित शाह ने कहा कि हिंदी की स्वीकार्यता स्थानीय भाषाओं के नहीं बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं से शब्दों को स्वीकार कर हिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे, तब तक इसका प्रचार-प्रसार नहीं हो पाएगा.
केंद्रीय गृह मंत्री ने सदस्यों को जानकारी दी कि अब कैबिनेट का 70 प्रतिशत एजेंडा हिंदी में ही तैयार होता है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के आठों राज्यों में 22000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है. साथ ही पूर्वोत्तर के 9 आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में कर लिया है. इसके अलावा पूर्वोत्तर के सभी आठों राज्यों ने सहमति से स्कूलों में दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य कर दिया है.
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