मणिपुरी कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला ने AFSPA कानून में आए बदलाव का स्वागत किया है. उन्होंने केंद्र सरकार के कई हिस्सों में जैसे असम, मणिपुर (Manipur) और नागालैंड से AFSPA कानून को हटाने के फैसला का स्वागत किया है. बता दें इरोम चानू शर्मिला (Irom Sharmila) ने अफस्पा के खिलाफ 16 साल का अनशन समाप्त किया था और 2017 में अपनी राजनीतिक शुरुआत की. 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनावों से पहले पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस बनाने से पहले शर्मिला नवंबर 2000 से अगस्त 2016 तक भूख हड़ताल पर थी. उन्होंने एक इंटरव्यू में दशकों से चली आ रही लड़ाई के बारे में बात की और सरकार के कदम को “लोकतंत्र का एक वास्तविक संकेत” कहा.मोदी सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए पूर्वोत्तर राज्यों नागालैंड, असम और मणिपुर में AFSPA के तहत आने वाले एरिया को कम कर दिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है. ये फैसला आज से यानी 1 अप्रैल से लागू हो जाएगा.
उत्तर-पूर्व के कुछ हिस्सों से AFSPA को निरस्त करने के केंद्र के फैसले के बारे में पूछा गया तो इरोम चानू शर्मिला ने कहा, मेरे जैसे कार्यकर्ता के लिए यह वास्तव में एक अच्छा पल है. मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि संसद में मुख्य भूमि के राजनेता कुछ अलग करने को तैयार हैं.एक पुराने कानून को निरस्त करने का निर्णय मुझे लोकतंत्र का वास्तविक संकेत लगता है.यह एक नई शुरुआत है और दशकों से चली आ रही लड़ाई का परिणाम है. पहला कदम उठाया गया है, और मैं चाहती हूं कि अफस्पा को पूरे उत्तर-पूर्व से स्थायी रूप से समाप्त कर दिया जाए.
‘मैं पानी की एक बूंद भी नहीं पीना चाहती थी’
इरोम चानू शर्मिला ने आगे कहा, मेरे अपना विरोध शुरू करने के तीन दिन बाद ही पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया और मुझे बहुत प्रताड़ित किया गया. मैं पानी की एक बूंद भी नहीं पीना चाहती थी, लेकिन लोगों ने मुझे अस्पताल और जेल में जबरदस्ती पिलाया. मेरी भूख हड़ताल बाद में दुनिया की सबसे लंबी भूख हड़ताल बन गई. अफस्पा के बिना कोई डर नहीं होगा और जीवन अधिक सामान्य और बेहतर होगा. हमने मणिपुर में कानून का विरोध करना शुरू कर दिया क्योंकि हमारी महिलाओं पर हमले हो रहे थे. लेकिन बाद में मुझे पता चला कि गरीब पूर्वोत्तर राज्य इन गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और विकास की अनदेखी कर रहे हैं.
अफस्पा खत्म होने से कैसे बदलेगा नॉर्थ-ईस्ट?
अफस्पा खत्म होने से कैसे बदलेगा नॉर्थ-ईस्ट इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, अफस्पा के बिना कोई डर नहीं होगा और जीवन अधिक सामान्य और बेहतर होगा. हमने मणिपुर में कानून का विरोध करना शुरू कर दिया क्योंकि हमारी महिलाओं पर हमले हो रहे थे. लेकिन बाद में मुझे पता चला कि गरीब पूर्वोत्तर राज्य इन गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और विकास की अनदेखी कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-पीएम मोदी आज करेंगे परीक्षा पे चर्चा, स्ट्रेस फ्री होकर एग्जाम देने पर होगी छात्रों-अभिभावकों से बातचीत