भारत की ओर से पिछले महीने दुर्घटनावश चली मिसाइल (accidental missile firing) के पाकिस्तानी क्षेत्र में गिरने के मामले की जांच में हादसे के लिए एक से अधिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. पिछले महीने 9 मार्च की शाम को भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के कर्मियों की ओर से गलती से एक मिसाइल लॉन्च कर दी गई थी और पाकिस्तान (Pakistan) के क्षेत्र में जाकर गिरी. हालांकि इस हादसे में किसी तरह का जान-माल का नुकसान नहीं हुआ. हालांकि पाकिस्तान की ओर से जांच के लिए संयुक्त जांच की मांग की गई थी.
हादसे के लिए जवाबदेही तय करने की दिशा में तेजी से कार्रवाई करते हुए, ब्रह्मोस दुर्घटनावश मिसाइल फायरिंग (BrahMos accidental missile firing incident) की घटना की भारतीय वायु सेना की जांच के आदेश दिए थे, जिसमें हादसे के लिए एक से अधिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. मामले से जुड़े शीर्ष सरकारी सूत्रों ने अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टुडे को बताया, ‘वाइस एयर मार्शल आरके सिन्हा की जांच में मिसाइल स्क्वाड्रन के एक से अधिक अधिकारी दोषी पाए गए हैं. उनके खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाएगी और जल्द ही उनसे सख्ती से निपटा जाएगा.’
हादसे के बाद भारत ने शुरू की थी मामले की जांच
वायु सेना मुख्यालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न घटित हों और ड्यूटी के दौरान सभी कर्मियों द्वारा सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं (standard operating procedures) का पालन किया जाए. ब्रह्मोस मिसाइल गलती से उत्तर भारत के एक एयरबेस से दागी गई थी जो पाकिस्तान के अंदर मियां चन्नू नामक स्थान पर गिरी थी. पाकिस्तान सरकार ने इस घटना पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी लेकिन उससे काफी पहले भारत की ओर से जांच शुरू कर दी गई थी.
इस हादसे के मामले में राज्यसभा में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘9 मार्च को गलती से एक मिसाइल लॉन्च की गई थी. यह घटना एक नियमित निरीक्षण के दौरान हुई थी. हमें बाद में पता चला कि यह पाकिस्तान में जाकर गिर गया था. मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है. सरकार ने औपचारिक तौर पर उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं. जांच से उक्त दुर्घटना के सही कारण का पता चलेगा.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘गमीमत रही कि मिसाइल के आकस्मिक प्रक्षेपण की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ.’
रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा कि भारत की मिसाइल प्रणाली अत्यंत सुरक्षित और भरोसेमंद है तथा देश का रक्षा प्रतिष्ठान सुरक्षित प्रक्रियाओं तथा मानकों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है.
पाक विदेश मंत्री कर रहे थे संयुक्त जांच की मांग
हालांकि राजनाथ सिंह के बयान के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने राजनाथ सिंह के संसद में दिए गए जवाब को ‘अपूर्ण और अपर्याप्त’ बताते हुए खारिज कर दिया और एक बार फिर घटना की संयुक्त जांच की मांग की. कुरैशी ने कहा, ‘भारत के रक्षा मंत्री ने लोकसभा में जो कहा वह अधूरा और अपर्याप्त है. यह पाकिस्तान को संतुष्ट करने के लिए काफी नहीं है. मैं इसे खारिज करता हूं और संयुक्त जांच की मांग करता हूं.’ कुरैशी ने आगे कहा, ‘यह बेहद गैरजिम्मेदाराना हरकत थी और दिया गया जवाब भी उतना ही गैर जिम्मेदाराना है.’
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने 11 मार्च को जारी एक बयान में कहा, ‘तकनीकी खराबी के कारण 9 मार्च को नियमित रखरखाव के दौरान दुर्घटनावश एक मिसाइल चल गई. भारत सरकार की ओर से दुर्घटनावश मिसाइल चल जाने की घटना को गंभीरता से लिया है और उच्च स्तरीय कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं.’
बयान में यह भी कहा गया, ‘पता चला है कि मिसाइल पाकिस्तान के एक इलाके में गिरी. यह घटना अत्यंत खेदजनक है, राहत की बात है कि कोई जनहानि नहीं हुई. घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने कहा था कि जांच टीम घटना के सभी संभावित पहलुओं की जांच करेगी.
हादसे के बाद पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने 10 मार्च गुरुवार शाम यह दावा किया कि 124 किलोमीटर की दूरी से एक वस्तु भारत की ओर से पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में पहुंची थी और यह मियां चन्नू इलाके में गिर गई.
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