तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने शनिवार को केंद्र से संविधान के अनुच्छेद-360 के तहत आंध्र प्रदेश में ‘वित्तीय आपातकाल’ (Financial Emergency) लगाने की मांग की, ताकि वाईएस जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) सरकार के ‘कुप्रबंधन’ से राज्य की रक्षा की जा सके. कांग्रेस ने भी राज्य में वित्तीय आपातकाल लागू करने की मांग की है. तेदपा यह भी चाहती है कि केंद्र सरकार पिछले एक साल में राज्य सरकार द्वारा 48 हजार करोड़ रुपये के जनता के धन में की गई कथित अनियमितता की सीबीआई से जांच कराए.
आंध्र प्रदेश विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष यनमाला रामकृष्णुडु ने कहा, ‘केंद्र को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और आंध्र प्रदेश, इसकी संपत्ति और लोगों की रक्षा को लेकर अनुच्छेद-360 के तहत वित्तीय आपातकाल लगाना चाहिए. जगन सरकार ने राज्य को वित्तीय अराजकता में धकेल दिया है जो बड़े सकंट की ओर बढ़ रहा है.’ ‘विशेष बिल’ के जरिए वित्तीय हस्तांतरण का संदर्भ देते हुए पूर्व वित्तमंत्री ने सवाल किया, ‘किस की जेब में 48,284 करोड़ रुपये गए.’
बिहार के चारा घोटाले की सीबीआई जांच का दिया हवाला
यनमाला ने भारत के महानियंत्रक और लेखापरीक्षक (कैग) की राज्य की वित्तीय स्थिति पर तैयार नवीनतम रिपोर्ट पर की गई टिप्पणी को रेखांकित किया जिसमें कहा गया कि वित्तीय नियमावली में ‘विशेष बिल’ का कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि यह और कुछ नहीं, गबन है. उन्होंने हवाला दिया कि बिहार के चारा घोटाले की सीबीआई जांच कैग की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी. कांग्रेस की आंध्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एन तुलसी रेड्डी ने भी जारी बयान में राज्य में वित्तीय आपातकाल लगाने की मांग की.
कोरोना की वजह से राज्य पर गहराया संकट
आंध्र प्रदेश देश के सबसे अधिक कर्ज में डूबे राज्यों में से एक है. भारतीय रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का बकाया कर्ज 3.98 लाख करोड़ रुपए है. इसका ऋण-जीएसडीपी अनुपात 37.6 प्रतिशत है. इस मामले में यह देश के सभी राज्यों में चौथे स्थान पर है. पिछले साल नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश पर 3.37 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था. आंकड़ों से यह भी पता चला है कि 2020-21 के दौरान राज्य ने मुख्य रूप से वेतन, पेंशन और मुफ्त सुविधाओं के भुगतान के लिए प्रति माह औसतन 9,226 करोड़ रुपये उधार लिए थे.
यह भी पढ़ें: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की अस्वीकृति के बावजूद जगन मोहन रेड्डी की तीन राजधानियों वाली राय में दम दिखता है