![Jallikattu](https://images.tv9hindi.com/wp-content/uploads/2022/01/Jallikattu-1024x576.jpg)
तमिलनाडु (Tamilnadu) में ‘जल्लीकट्टू’ (Jallikattu) के कार्यक्रम में एक बड़ा हादसा हो गया. यहां रस्सी के साथ फंसे हुए व्यक्ति को बैल काफी दूर तक खींचते हुए ले गया, जिससे वह व्यक्ति बुरी तरह घायल हो गया. राज्य में पोंगल यानी मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के मौके पर राज्य के कई हिस्सों में बैलों को दौड़ाकर और काबू करने का खेल ‘जल्लीकट्टू’ का आयोजन किया जाता है. सालों से यह परंपरा चली आ रही है. वेल्लोर जिले में भी जल्लीकट्टू का आयोजन किया जा रहा है. इसी के दौरान बैलों को दौड़ाकर काबू करते समय रस्सियों से एक व्यक्ति बुरी तरह फंस गया, जहां बैल उसे घसीटते हुए काफी दूर तक ले गई.
स्थानीय लोगों ने उसे बचा तो लिया, मगर वह गंभीर रूप से घायल है. इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसी तरह बैलों की दौड़ यानी ‘जल्लीकट्टू’ का कार्यक्रम तिरुपत्तूर इलाके में भी जारी है. इस खेल के दौरान बैल लोगों के ऊपर आ गया और अपनी सिंह से कई लोगों को घायल कर दिया. गौरतलब है कि पोंगल के पहले दिन शुक्रवार को अवनियापुरम में ‘जल्लीकट्टू’ की पहली प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. इसमें कई बैलों ने हिस्सा लिया था. अवनियापुरम में बैल ने 18 वर्षीय एक दर्शक को कुचल दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी. इसके मद्देनजर पालामेडु में आयोजित ‘जल्लीकट्टू’ के लिए विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था की गई है और पुलिस की तैनाती की गई है.
कोरोना के चलते तमिलनाडु सरकार ने जारी किए एसओपी
तमिलनाडु सरकार की ओर से जारी एसओपी के अनुसार, जितनी बैठने की क्षमता होगी, उसके 50 प्रतिशत को ही महोत्सव में शामिल होने की इजाजत है. गाइडलाइन में सरकार ने खेल के दौरान 150 दर्शकों की ही अनुमति दी है. इसके अलावा महोत्सव में शामिल होने वालों के लिए दोनों डोज वैक्सीन लेना या फिर आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य होगी. आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट 48 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में लगा दिया था प्रतिबंध
फॉर्मेट के नाम वाटी मंजू विराट्टू, दूसरा वेलि विराट्टू और तीसरा वाटम मंजूविराट्टू हैं. पुराने समय में यह येरुथाझुवुथल से भी जाना जाता था. इस दौरान बैलों को उकसाने के लिए कई अमानवीय व्यवहार की शिकायत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था. 2017 में तमिलनाडू सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में संशोधन करने के लिए ‘सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बैल की देशी नस्लों के अस्तित्व और निरंतरता को सुनिश्चित करने” के लिए एक कानून बनाया. इसके बाद ‘जल्लीकट्टू’ आयोजन पर प्रतिबंध भी समाप्त हो गया.
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